समलैंगिक विवाह भारत को नरक बनाने की साजिस
समलैंगिक विवाह भारत को नरक बनाने की साजिस है I पहले क्रिकेट के खेळ में विदेशो से लाखो खर्च करके लाई गई अर्धनग्न लडकियो को खडा करना, पुनः स्कूल - कालेजों में यौन शिक्षा (Sex - Education ) की योजना है , जिसका अंतिम उद्देश्य था स्वच्छंद यौनाचरन (FREE SEX ) को मान्य बनाना और अब सम्लैन्गिग विवाहो (Homo-Sexual Marriages) को कानूनी रूप देने का अथक प्रयास !
आखिर मुठ्ठी भर लोगों के द्वारा राष्ट्र की आत्मा-अस्मिता को तोडने का यह सुनियोजित प्रयास क्यो ? इसका उत्तर श्रीमदभागवत के एक श्लोक में मिल जायेगा ; इसमे कोई संदेह नही की पूरी दुनिया में हर जगह सफल होने के बाद दुष्ट शक्तियों (Hostile Forces) ने अपना अंतिम मोर्चा भारत में खोला है ; भारत है दुनिया का हृदय ; पश्चिम का परिवार व्यभिचार के दलदल में डूब चुका है ; जिस कारण पश्चिमी सभ्यता अंतिम सांस ले रही है ; पर भारत का परिवार अभी भी ठीकठाक चल रहा है; परिवार है सभ्यता का आधार ; परिवार टूटा की सभ्यता ध्वस्त हुई ; कैसे टूटेगा भारतीय परिवार ; यही इन विरोधी शक्तियों की चिंता का विषय है, इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उन्होने भारत को भी व्यभिचार का नरक बनाने की पूरी चेष्टा शुरू कर दी है ; इसके लिए प्रचार के सुगम साधन के रूप में विदेश-नियंत्रित समाचार चैनल (News Channel) उपलब्ध है ही जो शुरू से ही भारतीय अर्थात हिंदू संस्कृति को ध्वंस करने की चालाकी का अभियान चला रहे है I
समलैंगिक विवाह का मतलब है मानव सभ्यता का पूर्ण विनाश ; इससे बढकर अप्राकृतिक कोई दूसरी बात नही हो सकती है ; विवाह मनुष्य की सबसे पवित्र सम्बन्ध है, पर पश्चिम में यह ख़त्म हो चूका है; पुरुष-पुरुष से, स्त्री स्त्री से विवाह करे, इससे भयावह स्थिति क्या हो सकती है, पशु भी इस सीमा तक नही गये ; यहां महाकवि रवींद्रनाथ टागोर के विचार की याद आ जाती है - जब आदमी जानवर हो जाता है,तो जानवर से भी कई गुणा गया - बीता हो जाता है ; समलैंगिक विवाह को जायज विवाह ठहराने के लिए तरह-तरह के थोथे तर्क गढे जा रहे हैं ; कहा जा रहा है कि समलैंगिक संबंध हर युग में बनते रहे हैं,इसीलिये उनको मान्यता मिलनी चाहिये ; तब तो हर युग में चोर-डकैत-हत्यारे बनते रहे हैं,उनको भी मान्यता मिलनी चाहिये ; कभी-कभी ये लोग वेद-उपनिषद-महाभारत-रामायण की भी बात करने लगते हैं ; पर दुष्ट शक्तियों ने बहुत पहले ही संस्कृत अर्थात भारत की सांस्कृतिक भाषा को यहां से निर्वासित कर दिया ; बिना संस्कृत एक अक्षर जाने हुये ये इन महान ग्रंथों के बारे में कुच्छ भी बोलने का अधिकार रखने लगे हैं; सब से मजाक की बात है कि ये बार-बार महाभारत के पात्र शिखण्डी का नाम लेते हैं , पर क्या शिखण्डी समलैंगिक था ? महाभारत में उसका पूरा वर्णन है और समलैंगिक का समर्थन में उसका उदाहरण देना मूर्खता की हद है I
समलैंगिक विवाहों को मान्यता मिली कि हमारी सुदृढ़ पारिवारिक व्यवस्था छिन्न-छिन्न हुई ; इसके बाद स्कूलों - कालेजों में कैसा वातावरण बनेगा, इसके बारे में सोचकर रोंगटे खडे हो जाते हैं ; जब किसी बच्चे या बच्ची को लगेगा कि समलैंगिक संबंध जायज है, तब उनमें से बहुत ऐसे संबंध की ओर सहज ही आकर्षित हो सकते है I
मानवता के पुजारियों से , सनातन धर्म मानने वाले सभी व्यक्तियों से , भारत के सभी नागरिकों से भारत भारती समाज का यह नम्र निवेदन है कि हर स्तर पर इस पाप पूर्ण योजना का विरोध कीजिये; ; भारत पवित्रता के बल पर ही सारे झंझाबातों को आज तक झेलते रहा है ; दुष्ट- शक्तियों के इस अंतिम प्रयास को विफल करने के लिए घर-घर में पवित्र माहौल तैयार करने की जरुरत है ; हमारे घर में कोई बच्ची है, तो उससे कहें - बेटी ! तुम सुबह में उठकर कहो कि मै सावित्री सीता बनूंगी ; कोई बच्चा हो तो समझाओ कि तुम राम बनने का निश्चय करो I
विधाता ने शुरू से ही भारत के सामने दुनिया को बचाने का महान कार्य रखा है ; आज की ध्वस्त होती सभ्यता को एक मात्र भारत की पवित्रता का संदेश ही बचा सकता है ; इस महान युग में आहुति देने के के लिए ही हमारे नौजवानों को आगे आना होगा ; क्या यह देश , यह संस्कृति केवळ बाबा राम देव की ही है ; हमे भी इन विदेशी पाखंडियों का पूर्ण - जोर विरोध करना होगा ; हमे भी बाबा राम देव, गाँधी , तिलक , सुभाष , अन्ना हजारे जैसा बनना होगा i
आप का मित्र ,
डॉ.माया शंकर झा ,
कोलकाता
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